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तुम जरूरी हो/ Tum Jaroori Ho / hindi poem by Naval kant

                           

   ꧁𓊈तुम जरूरी हो𓊉꧂


तुम्हें हस्ता देख मेें भी खिल जाता हुँ,
तुम्हें रूठता देख में भी रूठ जाता हुँ,
तुम बात ना करो तो बडा़ बुरा सा लगता है,
तुम्हे क्या पता किस कदर में दिल को समझाता हूँ। 


ऐसा लगता है जैसे तुम बिन जिन्दगी अधूरी हो..
ऐसा लगता है जैसे तुम बिन जिन्दगी अधूरी हो,



हाँ तुम मेरे लिए बहुत जरूरी हो..
हाँ तुम मेरे लिए बहुत जरूरी हो।


तुम्हारी हर एक बात मान लूँगा तुम पास रखो तो सही,
चलो ना चलते हैं कहीं दूर जहाँ हमारे बिना कोई नहीं।
चाहता बहुत हूँ तम्हें पर कह नहीं पाता हूँ।
आजमा तो लो एक बार बेशक छोड़ देना वहीं के वहीं।


में चन्ना हूँ और तुम पूरी हो..
में चन्ना हूँ और तुम पूरी हो।


हाँ तुम मेरे लिए बहुत जरूरी हो..
हाँ तुम मेरे लिए बहुत जरूरी हो।

  _(  तुम जरूरी हो  )_

     कवि— नवल कान्त.



     👉 अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद 🙏

तुम जरूरी हो _  नवल कान्त। 

Tum Jaroori ho_ Naval kant. 

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