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Wah re insan hindi poem/वाह रे इन्सान hindi poem by umesh

 वाह रे इन्सान 

मन मे माया मंदिर में ढूंढे राम,
रंग बिरंगी तेरी रचना मान गये तुझको इन्सान। 

जीते जी ना दो पल साथ बिताते,
मरने के बाद करीबी था मेरा जोर से चिल्लाते। 

राह चलत को ठोकर खुद है बनाते,
सफल होने पर साथ जश्न मनाते। 

देख तेरी रंग बिरंगी रचना दंग है भगवान,
मन मे माया मंदिर में ढूंढे राम,
रंग बिरंगी तेरी रचना मान गये तुझको इन्सान। 


                              ______कुमार उमेश। 





👉 मेरी रचना को पूरा पढने के लिए दिल की गहराइयों से धन्यवाद 🙏

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