वाह रे इन्सान मन मे माया मंदिर में ढूंढे राम, रंग बिरंगी तेरी रचना मान गये तुझको इन्सान। जीते जी ना दो पल साथ बिताते, मरने के बाद करीबी था मेरा जोर से चिल्लाते। राह चलत को ठोकर खुद है बनाते, सफल होने पर साथ जश्न मनाते। देख तेरी रंग बिरंगी रचना दंग है भगवान, मन मे माया मंदिर में ढूंढे राम, रंग बिरंगी तेरी रचना मान गये तुझको इन्सान। …
और पढ़ेंराम ज्ञान राम रहे चौदह बरस बनराही, प्रेम, त्याग, सत्य निष्कपटता की भावना जग को सिखायी। आगे चलत राम पीछे चलत लक्षमण भाई, त्याग अयोध्या सीख भ्राता प्रेम, आज्ञा मात पिता की दिलायी। छोटी सी वानर सेना संग ले की लंका पर चढाई, हरा कर धुरंधर महान पराक्रमी राक्षस सेना विकट परिस्थिति में भी हार न मानने की सीख जग को दिलायी। लोटे अयोध्या बुराई पर अच्छायी की जीत क…
और पढ़ेंप्रार्थना राग ऐसा छेडू कि सब शिथिल हो जाये, गीत ऐसा छेडू कि यह धरा भी डगमगाये, भरा पडा जो दर्द मुझमें वो क्षण भर में भस्म हो जाये । चीर छाती आसमान की ये मेघ की गर्जना भी फीकी पड जाये, चिल्ला उठे यूँ दर्द मेरा राहतों की आहट कोई तो मुझे सुनाये, दर्द को भी दर्द दे सकूं ऐसा कोई राग तो सुनाये ... ऐसा कोई राग तो सुनाये । हे दाता दे श…
और पढ़ेंकब शुरू होगी हमारी कहानी 1. कई शिद्त्तों से तुम्हें पाने की कोशिश कर रहा हूँ तुम हस्ते नहीं तुम्हें हसाने की कोशिश कर रहा हूँ। मुझे पता है कि तुम मुझे चाहते हो पर कहते नहीं फिर भी हर दिन तुम्हें मनाने की कोशिश कर रहा हूँ। में चाहता हूँ तुम किनारा बनो और में बनु पानी में चाहता हुँ तुम किनारा बनो और में बनु पानी। में पुछता हूँ कब शुरू होगी हमारी कहानी कब शुरू होगी हम…
और पढ़ेंBEST HINDI POETRY BOOKS में आज आप सब के लिए हिन्दी कवीताओ की कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकों को लेकर आया हूँ जिन्हें आप मँगवा सकते हैं घर बैठे ही AMAZON से । 1.धूप के सिक्के – प्रसून जोशी। इस पुस्तक में प्रसून जोशी द्वारा रचित रचनाओं का संकलन है। 2.लावा (Lava) — जावेद अख्तर। अगर आप भी कविता के साथ-साथ गजल पढने के शौकीन हैं तो अभी क्लिक करें इस लिंक पर 👇 …
और पढ़ें꧁☬सफर☬꧂ सफर यह जिंदगी का सब को तय करना है , आए हैं अगर इस दुनिया में तो सबको एक ना एक दिन मरना है। निर्भर है सब खुद पर कैसे इस सफर को रंगीन बनाना हैं खुशियां भी होंगी कुछ गम भी यहां कैसे लड़ेंगे उन मुश्किलों से यहीं तो खुद को आजमाना है, इस डगर पर खुशियाँ बिखेरकर हमको आगे बढ़ना है सफर ये ज़िन्दगी का सबको तय करना है आए हैं अगर इस दुनिया में तो सबको एक ना एक…
और पढ़ें꧁𓊈तुम जरूरी हो𓊉꧂
और पढ़ें( मुझे नहीं पता में कौन हूं ) "कविता का भावार्थ" : - वर्तमान समय में होने वाली बलात्कार जैसी घटनाओं पर एक स्त्री के मन के भाव प्रकट करती है यह कवित । नहीं पता मुझे, में कौन हूं !मारी गई, शायद निर्भया हूं ! नोची गई, शायद असीफा हूं ! जलाई गई, शायद पशु चिकित्सक हूं ! उन्नाव पीड़िता, या गुड़िया हूं ! लाखों नहीं, करोड़ों बेबस, …
और पढ़ेंसहारा कविता का भावार्थ — इस कविता मे कवि जीवन के अकेलेपन को दर्शाने का प्रयास कर रहा है । कुछ अनकही सी पहेली मेरे कानो मे बहने लगी, ऐसा लगता हो जैसे कोई चिडी़या कानो में कहने लगी। अब जो अन्धेरा बुरा लगता था पूरी रात यहां रहने लगी , और आखें भी मेरी उस अन्धेरे को दिल से सहने लगी। अब तो काला अन्धेरा ही जैसे मेरे …
और पढ़ें"जिंदगी जिसका कुछ भरोसा नहीं, आज है तो क्या पता कल नहीं" 👉 " कविता का भावार्थ " इस कविता में आज की वर्तमान स्थिति को व्यक्त किया गया है कि किस तरह से लोग अपनी जिंदगी की अहमियत भूल कर पैसे के पीछे भाग रहे हैं। लोग ये समझ ही नहीं रहे कि वह किस तरह जिंदगी के असली सुख से वंचित होते जा रहे हैं अपनी जिंदगी की हर खुशियों को पैसों के साथ तोल रहे है और…
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